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मकराकृति गोपाल कैं
मकराकृति गोपाल कैं, सोहत कुंडल कान।धर्यौ मनौ हिय-धर समरु, ड्यौढ़ी लसत निसान॥
बिहारी
साकत-बामन जिन मिलौ
साकत-बामन जिन मिलौ, वैष्णव मिलि चंडाल।जाहि मिलै सुख पाइये, मनो मिले गोपाल॥
हरीराम व्यास
बात सुनौ जिनि दुष्ट की
बात सुनौ जिनि दुष्ट की, बहुत मिलावै आंनि।सुन्दर मानै सांच करि, सोई मूरख जानि॥
सुंदरदास
‘व्यास’ पराई कामिनी
‘व्यास’ पराई कामिनी, कारी नागिन जान।सूँघत ही मर जायगो, गरुड़ मंत्र नहिं मान॥
हरीराम व्यास
‘व्यास’ दीनता पारसै
‘व्यास’ दीनता पारसै, नहिं जानत जग अंध।दीन भये तैं मिलत है, दीनबंधु से बंध॥
हरीराम व्यास
मुख मीठी बातैं कहै
मुख मीठी बातैं कहै, हिरदै निपट कठोर।‘व्यास’ कहौ क्यों पाय है, नागर नंदकिसोर॥
हरीराम व्यास
मुख मीठी बातें कहै
मुख मीठी बातें कहै, हिरदै निपट कठोर।व्यास कहौं क्यों पाय हैं, नागर नंदकिसोर॥
हरीराम व्यास
‘व्यास’ बचन मीठे कहै
‘व्यास’ बचन मीठे कहै, खरबूजा की भाँति।ऊपर देखौ एक सौ, भीतर तीन्यों पाँति॥
हरीराम व्यास
मेरे मन आधार प्रभु
मेरे मन आधार प्रभु, श्रीवृंदावन-चंद।नितप्रति यह सुमरत रहौं, ‘व्यासहिं’ मन आनंद॥
हरीराम व्यास
‘व्यास’ मिठाई विप्र की
‘व्यास’ मिठाई विप्र की, तामे लागै आगि।बृंदाबन ते स्वपच की, जूठहि खैए माँगि॥
हरीराम व्यास
‘व्यास’ कुलीननि कोटि मिलि
‘व्यास’ कुलीननि कोटि मिलि, पंडित लाख पचीस।स्वपच भक्त की पानहीं, तुलै न तिनके सीस॥
हरीराम व्यास
श्रीहरि-भक्ति न जानहीं
श्रीहरि-भक्ति न जानहीं, माया ही सों हेत।जीवन ह्वैहै पातकी, मरि कै ह्वैहै प्रेत॥
हरीराम व्यास
साकत सगो न भेटिये
साकत सगो न भेटिये, इंद्र कुबेर समान।सुंदर गनिका गुन भरी, परसत तनु की हान॥
हरीराम व्यास
‘व्यास’ न कथनी और की
‘व्यास’ न कथनी और की, मेरे मन धिक्कार।रसिकन की गारी भली, यह मेरौ सिंगार॥
हरीराम व्यास
मोर सदा पिउ-पिउ करत
मोर सदा पिउ-पिउ करत, नाचत लखि घनश्याम।यासों ताकी पाँखहूँ, सिर धारी घनश्याम॥
अंबिकादत्त व्यास
गुंजा री तू धन्य है
गुंजा री तू धन्य है, बसत तेरे मुख स्याम।यातें उर लाये रहत, हरि तोको बस जाम॥
अंबिकादत्त व्यास
‘व्यास’ न कथनी काम की
‘व्यास’ न कथनी काम की, करनी है इकसार।भक्ति बिना पंडित वृथा, ज्यों खर चंदन भार॥