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शंख घोष के उद्धरण

यह जान लेना चाहिए कि उपादान बाधक होते हैं, परिमंडल बाधक होते हैं। लेकिन इन बाधाओं की दुहाई देकर हम स्वयं को दायित्व से मुक्त नहीं मानेंगे, इन्हीं में से होते हुए ही हम सिर्फ़ अपना-अपना काम करते रहेंगे।

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