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चाणक्य के उद्धरण

सुवर्ण के बने आभुषणों में निम्नलिखित गुण होते हैं—एक-सा रंग होना, भार व रूप आदि में एक-दूसरे के समान होना, बीच में कहीं गाँठ आदि का न होना, टिकाऊ होना, अच्छी तरह साफ़ करके चमकाया हुआ होना, ठीक ढंग पर बना हुआ होना, विभक्त अवयवों वाला होना, धारण करने में सुखद होना, स्वच्छ, कांतियुक्त व मनोहर आकृति वाला होना, एक-सा होना, मन व नेत्रों को अभिराम लगने वाला होना।