Font by Mehr Nastaliq Web

शंख घोष के उद्धरण

शब्दों में श्रुति और दृश्य के एक संयोग की दरकार होती है, मानों शब्द और वर्ण का भी हँसता हुआ चेहरा होता है, मानों वर्णों में से कोई दौड़ता हुआ जाता है तो कोई स्थिर खड़ा रहता है।

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए