Font by Mehr Nastaliq Web

हरिशंकर परसाई के उद्धरण

राजधानी की एक आँख हमारी लाख आँखों से तेज़ होती है। जब वह खुलती है हमारी चौंधिया जाती है।

  • संबंधित विषय : आँख