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चाणक्य के उद्धरण

मेघ के जल के समान दूसरा जल नहीं। आत्म-जल के समान दूसरा बल नहीं। चक्षु के समान दूसरा तेज़ नहीं। अन्न के समान कोई प्रिय नहीं।