मोहन राकेश के उद्धरण
मैं अपनी हर सुबह अपने काम (लेखन) के लिए चाहता था, हालाँकि यह भी सच है कि नौकरी छोड़ने के बाद कोई ज़रूरी नहीं कि मैंने हर सुबह काम किया ही हो।
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