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शरद जोशी के उद्धरण

मैं अपने फ़ुटपाथों पर चला हूँ। मैं उसकी स्थिति बदलने के लिए भी कुछ नहीं करूँगा, क्योंकि मुझसे बेहतर प्रज्ञा के सजग, सचेत, समझदार और कमिटेड क़िस्म के लोग उसे दरबार में ले जाने लगे हैं। मैं उनसे पराजित हूँ।

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