हरिशंकर परसाई के उद्धरण
किराए पर देने के लिए जब मकान बनबाया जाता है तो ख़ास ख़्याल रखा जाता है कि किरायेदार को भूल से भी कहीं कोई सुविधा न मिल जाए। रेडियों नाटक की तरह।
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