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शंख घोष के उद्धरण

जो बात आपको कहनी है वह आपको कहनी ही पड़ेगी, और वह इसलिए कि किसी को यह नहीं मालूम कि चुपके-चुपके किस तरह बातों की शक्ति संचित होती रहती है, किसी को पता नहीं चलता कि किस तरुण अथवा तरुणी के बोध को आप पलभर के लिए शुद्ध कर देते हैं, और हो सकता है कि इस तरह एक भावी व्यक्ति का निर्माण हो जाता है।

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