निर्मल वर्मा के उद्धरण
जब हम अपनी आस्थाओं की धरती से मृत्यु को देखते हैं—तो वह कितनी सह्य और सहज जान पड़ती है : जब हम मृत्यु—अपनी मृत्यु की ज़मीन से—अपनी आस्थाओं को देखते हैं, तो वे कितनी ग़रीब और संदिग्ध दिखाई पड़ती हैं…
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