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हरिशंकर परसाई के उद्धरण

इस क़ौम की आधी ताक़त लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताक़त छिपाने में जा रही है—शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में...बची हुई पाव ताक़त से देश का निर्माण हो रहा है तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आख़िर एक चैथाई ताक़त से कितना होगा।