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हरिशंकर परसाई के उद्धरण

इस देश के युवको को प्रेम पर मरना भी तो नहीं आता। प्रेम में मरेंगे तो घिनापन से। मरते किसी और कारण से है, मगर सोचते है कि प्रेम पर मर रहे हैं।