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निर्मल वर्मा के उद्धरण

हर रोज़ कोई मेरे भीतर कहता है, तुम मृत हो। यही एक आवाज़ है, जो मुझे विश्वास दिलाती है, कि मैं अब भी जीवित हूँ।