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चाणक्य के उद्धरण

बुरे ग्राम का रहना, बुरे आदमी की सेवा, बुरा भोजन, क्रोधमुखी पत्नी, मूर्ख पुत्र और विधवा कन्या—ये छह आग के बिना ही शरीर को जलाते हैं।