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शंख घोष के उद्धरण

भाषा कोई काम नहीं करती, राजनीति हमारे लिए विवेच्य नहीं है, यह बात कहने के लिए भी क्या आपको कई पृष्ठों तक भाषा का ही उपयोग नहीं करना पड़ा? और थोड़ी-बहुत राजनीति का भी? और अगर ऐसा होता है, फिर तो प्रमाणित ही हो जाता है कि लेखक का काम है, भाषा के द्वारा ही भाषा के झूठ पर विजय पाना।

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