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हरिशंकर परसाई के उद्धरण

अभिनंदन में और रचनावली प्रकाशित करने में कभी इसलिए भी जल्दी की जाती है कि लेखक बीमार रहने लगा है—न जाने कब टें बोल जाए। इसलिए समय रहते, इसका कुछ कर डालो।

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