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नामवर सिंह के उद्धरण

आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी के पहले आलोचक थे। उनके पहले समीक्षक हुआ करते थे, जो पुस्तकों की समीक्षा या टिप्पणियाँ लिखते थे।