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नया देश है रज़िया बी

naya desh hai raziya b

पायल भारद्वाज

पायल भारद्वाज

नया देश है रज़िया बी

पायल भारद्वाज

यह देश गांधी का देश नहीं रहा

यह देश अब गांधी के हत्यारों का है

प्रीत यहाँ की रीत अब नहीं रही

यह नया देश नफ़रतों का देश है

जिसने खसोट लिया है नेहरू के कोट से गुलाब

रज़िया बी

अब यहाँ बुर्क़ा नहीं चलेगा

चलेगा सलाम दुआ

अल्लाह के नाम वालों के दिन गए रज़िया देवी

यहाँ बस राम चलेगा

चलेगा छद्म बजरंगियों का खों-खों करता झुंड

जो नोच डालेगा तुम्हारे तन से कपड़े का एक-एक कतरा

‘‘तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन

तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था’’

विलुप्ति के कगार पर हैं ये कहने वाले ‘मजाज़’

यहाँ बस धार्मिक प्रतिद्वंद्वी भेड़िए हैं

भेड़िए जो थोप देना चाहते हैं तुम्हारे सिर पर हिजाब

जो घोंट देना चाहते हैं बुर्क़े में तुम्हारी साँस

भेड़िए जो ज़बरन नोंच देना चाहते हैं तुम्हारे तन से वही बुर्क़ा

विपक्ष के किसी झंडे की तरह

फबता मुझे भी नहीं तुम पर कोई पर्दा मेरी दोस्त

पर यक़ीन है मुझे तुम ख़ुद उतार फेंकोगी इसे

तोड़कर तमाम बेड़ियाँ

खड़ी हो जाओगी जब अपने पैरों पर

जान जाओगी जब सारी हक़ीक़त

तब तक हिम्मत रखना

डटी रहना, अड़ी रहना

बढ़ती रहना सच की ओर

रोशनी की ओर

किसी भेड़िए को छलनी करने देना

अपना स्वाभिमान, आत्मसम्मान

धर्म के नशे में डूबा यह नया देश है

जहाँ राजनीति का टूल धर्म है

और धर्म का टूल स्त्री

ख़ुद को टूल बनने से बचाना रज़िया बी

याद रखना

थोपी गई बंदिशें ही ग़ुलामी नहीं

थोपी गई आज़ादी भी ग़ुलामी है।

स्रोत :
  • रचनाकार : पायल भारद्वाज
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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