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लेखक : नीत्शे

संपादक : डॉ. नीलिमा सिंह

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : सरस्वती विह्र

प्रकाशन वर्ष : 1987

श्रेणियाँ : दर्शनविषयक

पृष्ठ : 127

सहयोगी : सरदार शहर पब्लिक लाइब्रेरी

ज़रथुष्ट्र ने कहा

पुस्तक: परिचय

ज़रथुष्ट्र ने कहा’ (thus spoke zarathustra) प्रकाश में आई, तो सारी दुनिया का बुद्धिजीवी समाज चौंक उठा। यह वह कृति है, जो मनुष्य में शक्तिशाली होने के भाव जगाती है और अस्तित्व के प्रति विश्वास से भर देती है। मुद्राराक्षस जैसे विद्वान लेखक ने इस प्रस्तुति में नीत्शे के जीवन और उसके महान ग्रन्थ ‘ज़रथुष्ट्र ने कहा’ को लिया है। काव्यात्मक भाषा में लिखी यह पुस्तक अस्तित्ववादी जीवन दर्शन को बहुत ही सहज ढंग से समझा देती है।

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