योग-संयोग आज़ादी के सम का लघु उपन्यास है जिसमें लेखक ने उस वक़्त की पीड़ा, दयनीयता और परिस्थिति को दिखाया है जैसे आम जन कैसे अपने ही आशियाने के लिए इतर-बितर हो गए थे।
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