तुम्हारे नाम प्रस्तुत कहानी संग्रह कामतानाथ जी की प्रमुख, प्रचलित और बहुचर्चित कृति है। कामतानाथ ने यथार्थ के अंतर्विरोधों को समझकर उन्हें रचनाओं के सांचे में ढाला और पाठकों के बीच लोकप्रियता हासिल की. उनकी कहानियों में कथा-रस का जादू पाठकों के सिर चढ़कर बोलता था। जैनेंद्र, इलाचन्द जोशी, अज्ञेय जैसे कथाकार मनोवैज्ञानिक कहानियां लिखते थे, दूसरी ओर प्रेमचंद, यशपाल जैसे कथाकार थे लेकिन शिल्प के महत्त्व के बावजूद ऐसा नहीं होता था कि कथ्य का लोप ही हो जाए।
सातवें दशक के समर्थ कथाकार कामतानाथ का जन्म 22 सितंबर, 1934 को लखनऊ में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी साहित्य में उन्होंने एम.ए. किया। तत्पश्चात 1955 में उन्होंने रिजर्व बैंक में नौकरी कर ली। वहीं कुछ मित्रों के साथ मिलकर उन्होंने ‘साहित्योदय’ नाम का एक बुक-क्लब बनाया, जिसमें लोग आपस में पैसे जमा करके पुस्तकें ख़रीदते और बाद में लॉटरी डालकर उन्हें आपस में बाँट लेते। सोमरसेट याम, हेमिंग्वे, गोर्की, टालस्टाय आदि की पुस्तकें और हिंदी के महत्वपूर्ण लेखकों की पुस्तकें भी इसी क्लब के द्वारा ख़रीदकर उन्होंने पढ़ीं। बचपन से ही पड़े अध्ययन-लत ने उन्हें लेखनी की ओर मोड़ दिया। साथ ही साथ, बैंक में नौकरी के दौरान ही वे मज़दूरों के आंदोलन से जुड़ गए तथा बैंक के कर्मचारी संगठन से सम्बद्ध हो गए। इस तरह ताज़िंदगी लेखन और आंदोलन उनके साथ रहा।
गुर्दे की बीमारी के कारण 7 दिसंबर 2012 को उनका निधन हो गया।
रचनाएँ:
उपन्यास
समुद्र तट पर खुलने वाली खिड़की
सुबह होने तक
एक और हिंदुस्तान
तुम्हारे नाम
काल-कथा (दो खंड)
पिघलेगी बर्फ़
कहानी संग्रह
छुट्टियाँ
तीसरी साँस
सब ठीक हो जाएगा
शिकस्त
रिश्ते-नाते
आकाश से झाँकता वह चेहरा
सोवियत संघ का पतन क्यों हुआ
लाख की चूड़ियाँ
नाटक
दिशाहीन
फूलन
कल्पतरु की छाया
दाखला डॉट काम
संक्रमण
वार्ड नं एक (एकांकी)
भारत भाग्य विधाता (प्रहसन)
औरतें (गाइ द मोपांसा की कहानियों पर आधारित)
पैसे की दुनिया
अनुवाद
प्रेत (घोस्ट : हेनरिक इब्सन)
सुबह होने तक, एक और हिंदुस्तान, छुट्टियाँ कल्पतरु की छाया; दाखला डॉट कॉम, संक्रमण आदि इनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं। इन्हें 'पहल सम्मान', मध्यप्रदेश साहित्य परिषद की ओर से ‘मुक्तिबोध पुरस्कार', ‘यशपाल पुरस्कार', ‘साहित्य भूषण' तथा ‘महात्मा गांधी सम्मान’ प्राप्त हो चुका है। 7 सितंबर, 2072 को लखनऊ में इनका निधन हो गया।
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