'टुकड़ा-टुकड़ा आदमी' टुकड़ा टुकड़ा आदमी नामक कहानी मे कारख़ानों में काम करने वाले ग़रीब मज़दूरों के हालात तथा अधिकारी वर्गों के झूठ और भ्रष्ट आश्वासनों का चित्रण हुआ है।
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