यह राय कृष्णदास जी की बारह कहानियों का एक संग्रह है। इस संग्रह की कहानियां न घटना मूलक हैं, न ही भाव मूलक। यह कहानियाँ उन गूढ़ व रहस्यमय वृत्तियों को थाहना चाहती हैं जिनके कारण मनुष्य, मनुष्य है।
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