सुबह का भूले एक बेहद दिलचस्प और रोचक उपन्यास है। जीवन की कठिनाइयों और पीड़ाओं से पाठकों को हृदयस्पर्शी ढंग से रूबरू कराया गया है। हँसती-खेलती जिंदगी किस तरह ट्रेजेडी में बदलती है और संघर्ष से किस प्रकार सीख मिलती है... यही इस उपन्यास की कथावस्तु है, जिसमे एक युवक के चंचल मन और संघर्षशील जीवन को समझने का बेहद सफल प्रयास किया गया है।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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