इस पुस्तक में लाला हरदयाल जी के अंग्रेज़ी लेखों का अनुवाद है। पहला लेख स्वयं उनका लिखा हुआ है और बाक़ी सब अनुवादित है। इनमें से लगभग सब ही हिंदी पत्रों और पत्रिकाओं में निकल चुके हैं।
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