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पुस्तक: परिचय

'सत्ताघर की कंदराएं' ये कहानियाँ घटनाओं के ताने बाने में ऐसे अदृश्य, किंतु अवस्थित...धुँधुलाते किंतु शाश्वत सिलसिलों की उकृति है।

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