लेखिका का दो उपन्यास समाधान और तर्पण में भारतीय ग्राम संस्कृति का भाव-विह्वल स्वर मिलता है, जो उन्हें सहज ही हिंदी के श्रेष्ठ कथाकारों की प्रथम पंक्ति में स्थान दिलाता है। उनकी प्रत्येक रचना में धवल पारदर्शी चाँदनी में भीगी सरल-तरल करुणा का संगीतात्मक स्पर्श है, जिसकी अंतर्लय संवेदना की गहरी धार से जुड़ी हुई है। ऋता शुक्ल की रचनाएँ अनुभवों की रसमयता में पगी हुई एक ऐसे यात्रा-क्रम का स्मरण दिलाती हैं, जहाँ मानवीय करुणा की अनगिनत लकीरें हैं। उनमें चरित्रों की अद्भुत विविधता और अकूत विस्तार है। नंगे पाँव अंगारों पर चलने की वेदना का दुस्सह भार मन-प्राणों में साधकर जीने की आस बँधाने वाली है यह शब्द-यात्रा। चेतना की कोमल सतह पर ग्रामगंधी करुणा के दूर्वादल उगाने का सफल प्रयास उनकी कहानियों का वैशिष्ट्य है। भारतीय संस्कृति के निष्ठा-रस से सिंचित उनकी जिजीविषा धारा के विरुद्ध बहने के लिए संकल्पबद्ध दिखाई पड़ती है।
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