रोशनी की तलाश 'मुक्तेश' जी की नौवीं दशक की शुरुआती किताब है । रोशनी की तालश शीर्षक अनास्था के अंधकार को समाप्त करने का प्रतीक है। 'रोशनी' के प्रतीक या बिंब के माध्यम से कवि ने यथार्थवादिता, वर्तमान के प्रति आक्रोश, नवनिर्माण का स्वपन, आत्मविश्वास, भविष्य के प्रति आस्था, सड़ी-गली समाज-व्यवस्था पर प्रहार आदि अनेक आयामों का चित्रण किया है।
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