रेल के टिकट भदंत आनंद कौसल्यायन की एक रचना है. भदंत आनंद कौसल्यायन एक अनन्य हिन्दी सेवी बौद्ध भिक्षु थे. उन्होंने देश-विदेश की कई यात्राएं कीं और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. वे गांधी जी के साथ लंबे समय तक वर्धा में रहे. उनका निधन साल 1988 में हो गया. भदंत आनंद कौसल्यायन की कुछ और रचनाएंँ ये रहीं।