पूर्णविराम, इस उपन्यास में मात्र भटकाव ही है। एक ऐसा भटकाव जिसकी दिशा भी ज्ञात नहीं थी। इस पुस्तक में रचनाकार ने अकेले हो जाने या अकेलेपन में स्मृतियों को जी कर कभी किसी के साथ हो जाने का एहसास है।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
टिकट ख़रीदिए