इस उपन्यास को देश-विदेश में मध्यवर्ग की महागाथा के रूप में सराहा गया है। यह एक लघु उपन्यास है। जिसमें रचनाकार ने पहाड़ की ज़िंदगी के दर्द को पूरी तरह से दर्शाने में कामयाब है।
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