''निरीहों की दुनिया'' कछुओं को पात्र बनाकर लिखी गई रचना है : याने कि फैंटैसी। स्वाभाविक है कि उपन्यास कछुए के ही मानिंद धीमी रफ्तार से आगे बढ़ता है, और पढऩे के लिए धैर्य की मांग करता है। जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, कथा के केन्द्र में वे ही हैं जो निरीह हैं- याने कछुए और कछुओं की तरह अपनी खोल में सिमटकर-दुबककर रहने वाले, चपल खरगोशों की तेज रफ्तार से आतंकित, शिकारियों और उनके हथियारों से डरे हुए मनुष्य: हाशिए पर पड़े मनुष्य, सभ्य समाज की नजरों से बचकर किसी गुमनाम पोखर के अतल में रहने वाले गुमनाम लोग।
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