'निबन्ध-संग्रह' इस पुस्तक में अभिव्यक्ति की इश सहज सरलता ने निबंध को प्रचलित साहित्य रीप तो अवश्य बना दिया, परंतु निबंध को सरल और सहज होने से ही निबंध से सर्व साधारण को आकृष्ट करने की क्षमता का अभाव है। बस इन्हीं अभावों को इस पुस्तक में दर्शाया गया है।
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