'माटी की महक' संपूर्ण उपन्यास सामयिक संदर्भ एवं तीखी विडंबनाओं एवं जात-पात वर्ग विद्वेष औरअपमानित हरिजन बंधुओं को किस प्रकार स्नेह सद्भाव सौहार्द से उनके मन और अंतस्तलको मानव स्नेह और सोमनस्यता से सामाजभिमुख किया जा सकता है। यह रचना भावस्पर्शी फलक प्रस्तुत करती है।
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