यह उपन्यास ऐसे गुनाहों की कहानी है जो हमसे जाने अनजाने हो जाते हैं। नरेंद्र शर्मा जी ने इन्ही गुनाहों के अंजाम तक की कहानी को बहुत ही रोमांचक ढंग से गढ़ा है।
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