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मध्यकालीन काव्य में जनवादी चेतना की अभिव्यक्ति के स्वरूप का अध्ययन

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशन वर्ष : 2002

श्रेणियाँ : साहित्य एवं भाषा विषयक

पृष्ठ : 207

मध्यकालीन काव्य में जनवादी चेतना की अभिव्यक्ति के स्वरूप का अध्ययन

पुस्तक: परिचय

समकालीन जनवादी हिन्दी कविता में कवियों ने आम जन के प्रति शोषण, अन्याय एवं सामाजिक विषमताओं और विसंगतियों का खुलकर चित्रण किया है। जनवादी साहित्य शोषण और सत्ता के अहंकार का विनाश करने वाला, स्वतन्त्रता और मुक्ति के गीतों को अभिव्यक्त करने वाला है।

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