प्रस्तुत पुस्तक द्विचीय वर्ग का तैंतीसवाँ प्रकाशन है। इसमें मध्यकालीन हिंदी और पंजाबी प्रेमाख्यान के काव्य विविध पश्रों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है और साथ ही विविध प्रवृत्तियों के साथ उसकी तुलना की गई है।
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