'लज्जाराम मेहता' लज्जाराम मेहता ने हिन्दी को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि उसमें मध्यम वर्ग की समस्याओं का चित्रण भी किया। वह एक प्रखर पत्रकार और इतिहासकार भी थे। बूंदी में निवास करते हुए उन्होंने वहां के इतिहास लेखन का भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। लज्जाराम मेहता के उपन्यास मौलिक थे और मानव जीवन के चित्र सामने रखते थे।
ऋतुराज का जन्म राजस्थान के भरतपुर में 10 फ़रवरी 1940 को हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से अँग्रेज़ी में एम.ए. की परीक्षा पास की और आजीविका के लिए लगभग चालीस वर्षों तक अँग्रेज़ी साहित्य पढ़ाया। बाद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल में बतौर भाषा-विशेषज्ञ तीन वर्षों तक नौकरी की।
‘मैं आंगिरस’, ‘एक मरणधर्मा और अन्य’, ‘कितना थोडा वक़्त’, ‘पुल पर पानी’, ‘अबेकस’, ‘नहीं प्रबोधचंद्रोदय’, ‘सुरत निरत’, ‘लीला मुखारविंद’, ‘आशा नाम नदी’, ‘स्त्रीवग्ग’ उनके प्रमुख काव्य-संग्रह हैं। इसके अलावे उनकी चुनी हुई कविताओं का प्रकाशन ‘कवि ने कहा’ सीरीज़ में भी हुआ है।
उनकी कविताएँ राजस्थान में स्कूल-कॉलेज पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाई गई हैं।
वह सुधींद्र, मीराँ, सोमदत्त परिमल, पहल, बिहारी, सुब्रह्मण्य भारती हिंदीसेवी सम्मान, परिवार सम्मान आदि से समादृत किए गए हैं।
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