'सावरकर की चिट्ठियाँ' इस पुस्तक में सावरकर द्वारा लिखे गईं सभी चिट्ठियों का संकलन है। सावरकर बहुत भयानक कांतिक्रारी थे और उसके साथ ही भावुक कवि भी थे। इनकी प्रत्येक चिट्ठी में तड़पते जज़्बात ऐसी वेदनामयी भाषा में प्रकट किये गये हैं ।
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