सरल, ममत्वमयी कारवी और पगली किशनुली और उसके ‘ढाँट’ करण की अद्भुत गाथा कभी हँसाती है, तो कभी रुला देती है। प्रस्तुत पुस्तक में साहित्य की लेखिका शिवानी जी ने अपने विचारों के संकलन किया है।
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