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लेखक : देवकीनंदन खत्री

संस्करण संख्या : पुनर्मुद्रण

प्रकाशक : शारदा प्रकाशन, नई दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 1989

भाषा : हिंदी

पृष्ठ : 89

सहयोगी : दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी

कटोरा-भर-ख़ून

पुस्तक: परिचय

इस उपन्यास को चन्द्रकांता जैसी रचना के रचयिता देवकीनंदन खत्री जी ने सोलह भागों में लिखा है । हिंदी के सुप्रसिद्ध एवं बहुचर्चित उपन्यास माला का यह तीसरा उपन्यास है देवकीनंदन जी को हिंदी का तिलिस्मी लेखक माना जाता है उपन्यास में हरिपुर के एक राजा की कहानी है जिसका एक मित्र होता है जो साजिश कर राजा करन सिंह का राज्य हथिया लेता है साथ ही करन सिंह को ज़हर देकर मारने की कोशिश करता है परंतु राजा करन सिंह बच जाते हैं और बाद में उनके पुत्र और वह मिलकर अपने फ़रेबी दोस्त का सारा भेद प्रजा के सामने खोलते हैं और उसके अन्याय से राज्य को मुक्त करा अपना बदला लेते हैं। कहानी इन्ही साजिशों और खुलासों के बीच बहुत ही रोमांचक ढंग से यात्रा करती है।

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