साहित्यकार, पटकथा लेखक एवं ‘मुरदा-घर’ के उपन्यासकार जगदंबा प्रसाद दीक्षित का जन्म मध्य प्रदेश के बालाघाट क़स्बे में 1913 में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुई। बाद की शिक्षा तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर में सम्पन्न हुआ। वहीं से एम.ए. करने के बाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुम्बई में अध्यापन-कार्य किया। इससे पहले नागपुर के दो दैनिक पत्रों में उप-संपादक पद पर भी कार्य किया।
मार्क्सवाद-लेनिनवाद और माओ त्से तुंग के चिन्तन से प्रभावित रहे। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के बीच संगठनात्मक गतिविधियाँ के चलते 1970 में गिरफ़्तारी हुई। 1972 में ‘पीपुल्स पावर’ अंग्रेज़ी पत्रिका का संपादन-प्रकाशन किया।
1953 से ही पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियाँ प्रकाशित होती रहीं।
प्रमुख कृतियों में हैं : ‘कटा हुआ आसमान’, ‘मुरदा-घर’, ‘अकाल’, ‘इतिवृत्त’ (उपन्यास); ‘शुरुआत’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में राष्ट्रीय और दलाल पूँजीपति’, ‘नेशनल एंड कांप्रेडोर बुर्जुआजी’, ‘बोगस थियरी ऑफ़ फ्यूडलिज्म’ (राजनीति); ‘काग़ज़ के आदमी’, ‘मक्खी’ (नाटक) आदि।
सिनेमा : ‘दीक्षा’, ‘सर’, ‘ज़हर’, ‘नाजायज’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘कलियुग’, ‘जानम’ आदि फ़िल्मों के लिए लेखन।
22 मई 2014 को जर्मनी के बर्लिन शहर में उनका उनका देहांत हुआ।
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