ज्वार-भाटा पुस्तक मे रचनाकार ने अपने कुछ ऐसे विचारों को प्रस्तुत किया है जहाँ मनुष्य की मन:स्थिति में आंतरिक रूप से अन्य सवाल जवावों की उथल-पुथल मची रहती है स्थिति को उजागर किया है।
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