ज्वाला और जल हरिशंकर परसाई जी की एक ऐसी कृति है जिसमें उन्होंने एक ऐसे युवक की कहानी को गढ़ा है। जो समाज के संघर्षो से जूझते हुए एक निर्मम और अमानवीय युवक में बदल जाता है। कैसे अच्छाई को बुराई से कभी कभी शिकस्त भी मिलती है परसाई जी ने उस व्यथा को बखूबी इस उपन्यास में उकेरा है।