'जानकीपुल' प्रभात रंजन के इस कहानी संग्रह में आज की वास्तविकता के प्रति एक व्यस्क व्यंग्यबोध है। इ कहानियों में यथार्थ है और लेखक के अपने परिवेश से जुड़ूी है।
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