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पुस्तक: परिचय

ये कहानियाँ हमारे जीवन के बेहद मामूली अनुभवों के बीच से असाधारणता का विरल तत्त्व खोजने का जो साहस दिखाती हैं वह हिन्दी के सन्दर्भ में बेहद औचक और नया है। समूचे सामाजिक एवं बौद्धिक जीवन में जो ठहराव धीरे-धीरे घर कर रहा है, उसकी तह तक पहुँचने, उसे तोड़ने और उसका सर्जनात्मक विकल्प तैयार करने का महत्त्वपूर्ण काम ये कहानियाँ सहजता और बेहद सादगी के साथ करती हैं। यही इन विलक्षण कहानियों की सबसे बड़ी सफलता भी है।—जितेन्द्र भाटिया

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लेखक: परिचय

सुपरिचित कवि कुमार अंबुज का जन्म 13 अप्रैल 1957 को गुना, मध्य प्रदेश में हुआ। कविता चर्चा जगत में उनका प्रवेश 1989 में ‘किवाड़’ कविता के साथ हुआ जिसे नेमिचंद्र जैन ने भारतभूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार के लिए चुना। तब से उनकी कविता-यात्रा जारी है और उनके पाँच कविता-संग्रह आ चुके हैं। वह बहुचर्चित सीरिज़ ‘कवि ने कहा’ और प्रतिष्ठित सीरिज़ ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ में शामिल किए गए हैं।   

विष्णु खरे के शब्दों में ‘‘...कुमार अंबुज की कविता भाषा, शैली और विषय-वस्तु के स्तर पर इतना लंबा डग भरती है कि उसे ‘क्वांटम जंप’ ही कहा जा सकता है। उनकी कविताओं में इस देश की राजनीति, समाज और उसके करोड़ों मज़लूम नागरिकों के संकटग्रस्त अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। वे सच्चे अर्थों में जनपक्ष, जनवाद और जन-प्रतिबद्धता की रचनाएँ हैं। जनधर्मिता की वेदी पर वे ब्रह्मांड और मानव-अस्तित्व के कई अप्रमेय आयामों और शंकाओं की संकीर्ण बलि भी नहीं देतीं। यह वह कविता है जिसका दृष्टि-संपन्न कला-शिल्प हर स्थावर-जंगम को कविता में बदल देने का सामर्थ्य रखता है। कुमार अंबुज हिंदी के उन विरले कवियों में से हैं जो स्वयं पर एक वस्तुनिष्ठ संयम और अपनी निर्मिति और अंतिम परिणाम पर एक ज़िम्मेदार गुणवत्ता-दृष्टि रखते हैं। उनकी रचनाओं में एक नैनो-सघनता, एक ठोसपन है। अभिव्यक्ति और भाषा को लेकर ऐसा आत्मानुशासन, जो दर-अस्ल एक बहुआयामी नैतिकता और प्रतिबद्धता से उपजता है और आज सर्वव्याप्त हर तरह की नैतिक, बौद्धिक तथा सृजनपरक काहिली, कुपात्राता तथा दलिद्दर के विरुद्ध है, हिंदी कविता में ही नहीं, अन्य सारी विधाओं में दुष्प्राप्य होता जा रहा है। अंबुज की उपस्थिति मात्र एक उत्कृष्ट सृजनशीलता की नहीं, सख़्त पारसाई की भी है।’’ 

'किवाड़’ (1992), 'क्रूरता’ (1996), 'अनंतिम’ (1998), 'अतिक्रमण’ (2002) और ‘अमीरी रेखा’ (2011) उनके काव्य-संग्रह हैं और उनकी कहानियाँ 'इच्छाएँ’ (2008) में संकलित हुई है। इसके अतिरिक्त, वैचारिक लेखों पर एक संकलन ‘मनुष्य का अवकाश’ और डायरी एवं सर्जनात्मक टिप्पणियों का एक संकलन ‘थलचर’ शीर्षक से प्रकाशित है। 

वह मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी का माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा पुरस्कार, गिरिजाकुमार माथुर सम्मान, केदार सम्मान और वागीश्वरी पुरस्कार से नवाज़े गए हैं।

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