'गुरु-ज्ञान' इस पुस्तक में लघुकथा 'सार्थकता' के क़रीब है। ये लघुकथाएँ समाज के स्वरूप का आईना दिखाती है और इन लघुकथाओं से पाठकों के ह्दय में मनोरंजन के साथ मार्मिकता भी जाग्रत करती है।
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