'गुलाम बेगम' नारी उत्पीड़न् की परंपरा मुग़ल काल में प्रापंभ हुई और राजपुत शासन में चरम पर पँहुच गई उस समय वह शौक़ की नहीं भोग की वस्तु मात्र बनकर रह गई थी। उस खंडहर नुमा हवेलियों में क़ैद नारी जीवन का मार्मिक चित्रण ही इस उपन्यास में किया गया है।
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