गांधी जी के आदर्शो और विचारों से उनका गहरा: लगाव था। परदुखकातरता उनकी कहानियों का प्राण तत्व है। उनकी कहानियों में सामाजिक जीवन का सच. प्रभावी शिल्प और सहज भाषा में उकेरा गया है। छायावाद के वर्चस्व के दौर में भी उन्होंने अपनी कहानियों की प्रवृत्ति को सदा बहिर्मुखी बनाए रखा।